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Gvava farming: अमरूद के फल बाहर से दिखते हैं अच्छे-भले, लेकिन अंदर है कीड़ों की भरमार, आखिर यह कीड़े पड़ते कैसे है? 

Gvava farming: अमरूद के फल बाहर से दिखते हैं अच्छे-भले, लेकिन अंदर है कीड़ों की भरमार, आखिर यह कीड़े पड़ते कैसे है?

 

अमरूद की बागवानी करने वाले किसानों के सामने एक बड़ी समस्या होती है फलों में कीड़ा लगना, कई बार यह समस्या इतनी अधिक हो जाती है कि पूरे पौधे के फलों में कीड़े लग जाते हैं जिससे किसान भाइयों को बहुत अधिक नुकसान होता है।

बरसात के मौसम में, बगीचों और फसलों पर फ्रूटफ्लाई का प्रकोप एक बड़ी समस्या बन जाता है। अमरूद ही नही यह रोग करेला व इन जैसे फलों व सब्जियों में भी लगता है। यह कीट 200 से अधिक सब्जियों और फलों पर हमला करता है, जिससे किसानों और बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। घरों में, जहां एक या दो पेड़ होते हैं, वहां इस कीट से बचाव के लिए कुछ आसान और प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं।

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फ्रूटफ्लाई के प्रकोप से बचाव

फ्रूटफ्लाई से बचाव का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है फलों की बैगिंग। इसमें निषेचन के बाद बनते हुए फलों को कागज की थैलियों से ढक दिया जाता है। इस प्रक्रिया से वयस्क फ्रूटफ्लाई अंडे देने के लिए फलों तक नहीं पहुंच पाती हैं, जिससे फसल सुरक्षित रहती है।

दूसरा तरीका है, पेड़ों को पूरी तरह से मक्छर जाली से ढक देना। इस उपाय से भी वयस्क फ्रूटफ्लाई को फलों तक पहुंचने से रोका जा सकता है। यह उपाय खासकर छोटे बगीचों में प्रभावी साबित होता है।

फ्रूटफ्लाई का प्रकोप गर्म और नम मौसम में अधिक होता है, जबकि सर्दियों में यह कीट शिथिल पड़ जाता है। इसीलिए, सर्दियों के मौसम में फसल लेने से फ्रूटफ्लाई के हमले से बचा जा सकता है। खासकर अमरूद के लिए यह उपाय कारगर साबित होता है।

बड़े स्तर पर बागों में अपनाए जाने वाले उपाय
बड़े स्तर पर बागों में, गर्मियों की जुताई से मिट्टी में मौजूद फ्रूटफ्लाई के अंडों और लार्वा को नष्ट किया जा सकता है। इससे अगले सीजन में इनके प्रकोप की संभावना कम हो जाती है।

फ्रूटफ्लाई को नियंत्रित करने के लिए फेरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। यह ट्रैप कीटों को आकर्षित कर उन्हें पकड़ने का काम करता है, जिससे इनकी संख्या में कमी आती है।

मिट्टी और पेड़ों पर कीटनाशक का छिड़काव भी फ्रूटफ्लाई से बचाव का एक प्रभावी उपाय है। हालांकि, इस उपाय को अपनाते समय पर्यावरण और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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